Saturday 10 May 2014

बनारस में वोटों की गिनती के समय जब एक भाजपा कार्यकर्ता चल बसा

वाक्या बनारस मे  साल 2009 के  लोक सभा चुनाव का है. वोटों की गिनती हो रही थी.

चार दिग्गज नेता मैदान में थे - बनारस के निर्वितमान सांसद रजेश मिश्रभारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय नेता मुरली मनोहर जोशी,  बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के मुख्तार अंसारी और समाजवादी पार्टी (सपा) के अजय राय.        

टक्कर मुख्यतः जोशी और अंसारी के बीच थी. पर जोशी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त थे.

सुबह जैसे ही वोटों की गिनती शुरु हुई तो जोशी आगे चल्ने लगे. पर जैसे ही  मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों के मतों की गिनती शुरु हुईजोशी अनसारी से पिछडने लगे. भाजपा वालों को लगने लगा कि शायद अंसारी ही जीत जायेँगे।

पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्त्ता श्रीगोपाल साबू को दिल तो दौर पड़ गया. अंत में जीते तो जोशी ही पर जीत क जश्न मनाने से पहले ही श्रीगोपाल साबू की मौत हो गयी. 

सार यह है की नेता कितना भी बड़ा होपरिणाम क्या होगा कोई नही बता सकता.

यह बात शायद भाजपा और पार्टी की प्रधान मंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी भी समझतें हैं और शायद जीत के लिये कोई कोर कसर नही छोड़ रहें हैं और किसी भी पहलू को न अनदेखा कर रहें है न उनछुआ रख रहें है.             

भाजपा द्वारा नरेन्द्र मोदी के नाम की वाराणसी से उम्मीदवारी कि घोषणा के कुछ दिनों बाद ही आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल ने वहीं से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. 

वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार बिनय सिंह कहतें हैं, "जैसे ही केजरीवाल मैदान में उतरें हैंटक्कर कांटें कि हो गयी है हम लोगों को चौबीस घंटे चौकन्ना रहना पड़ रहा है."  

आम आदमी पार्टी (आप) देश की सबसे नयी राजनीतिक पार्टी है और दिल्ली विधान सभा के चुनाव में पहली बार किसी चुनावी अखाड़े में उतरी। आप ने गैर पारम्परिक तरीके से चुनाव लड़ा. जहाँ कांग्रेस और भाजपा ने बड़ी बड़ी सभाएं कीआप ने रोड शो  और नुक्कड़ सभाएं की. 
दुसरे  पार्टीयों के कद्दावर नेताओं ने वोट माँगा तो आप के समर्पित कार्यकार्ताओं ने घर घर में प्रचार किया। दुसरे नेताओं से अलग पहचान बनाने के लिये अरविन्द केजरीवाल ने गाँधी टोपी पहननी शुरु की और लोगों को अपने साथ जोड़ने  लोगों को भी टोपी बांटी.           

नतीजा - आप ने दिल्ली विधान सभा में सबसे ज़्यादा सीटें जीती. 

आम तौर  पर जब चुनाव प्रचार  समाप्त हो जाता है तब पार्टी  कार्यकर्त्ता घर-घर जाकर वोट माँगते हैं. पर भाजपा ने आम आदमी पार्टी क तरीका अपनाते हुए अरविन्द केजरीवाल के बनारस से उम्मीदवारी घोषित होते ही घर घर प्रचार शुरु कर दिया.   

बनारस में गर्मी ने 40 का आंकड़ा पार कर लिया है. दोपहर के समय घर घर प्रचार करना मुश्किल काम है. इसलिए भाजपा कार्यकर्ताओं की टुकड़ियां पैम्फलेट और अन्य चुनाव सामग्री से लैस हो कर तकड़े  6  बजे ही पूरे शहर में फैल जाती हैं. 

कुछ टुकड़ियां वाराणसी  चोराहों पे खड़े हो कर लोगों को केसरिया टोपी जिसपे लिख होत है 'मोदी फॉर पी एमबांटना शुरु कर देतें हैं. पूछने पर भाजपा कार्यकार्ता इस बात से इंकार करते हैं कि वह आप की नकल कर रहें हैं. भाजपा कार्यकार्ता मोहन सिंह ने कहा, यह टोपी तो गाँधी जी की वजह से लोकप्रिय हूई थी. 

चुनाव विश्लेषक मनोज त्रिपाठी कहते हैं, "जिस तरह से भाजपा चुनाव प्रचार के गैर-पारम्पपरिक तरीकों को अपना रही है उसको देख के कह जा सकते है कि पार्टी अरविन्द केजरीवाल से हिली हुई है. कहीँ एक आशंका है. वाराणसी से मोदी की जीत के लिए पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है. आत्म विश्वास तो ठीक है पर अति-आत्मा-विश्वास धोका दे जाएं तो ?" 

वे कहते हैं, " शायद इसीलिये भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही. हर मतदाता को लुभा रही है - चाहे वो  ब्राह्मण हो या भूमिहार या महीला." 

वाराणसी में वोटरों की संख्या क़रीब 16 लाख है. जाति के हिसाब से 3 लाख ब्राह्मण, 1.75 लाख भूमिहार, 1.5 ठाकुर, 4 लाख ओबीसी, 2.2 दलित, 2.5 मुस्लिम मतदाता हैं. 

तीन लाख ब्राह्मण वोटरों को लुभाने के लिये अटल बिहारी वाजपेयी क खूब सहारा लिया है भाजपा ने. शायद ही ऐसा कोई पार्टी कार्यक्रम और प्रेस कॉन्फ़्रेन्स हुआ हो जिसमे जो होर्डिंग लगए  थे उसमें अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर न रही हो.   

कांग्रेस के टिकट पर मोदी के सामने हैं एक कद्दावर भूमिहार नेता अजय राय. भाजपा 1.75 लाख भूमिहार वोटरों को नहीं खोना चाहती है. भूमिहार वोटरों को अपने पक्ष में करने की ज़िम्मेदारी पार्टी ने स्वर्गीय नेता कृष्णानंद राय की पत्नि अलका राय को सौँप रक्खी है. अलका राय वर्तमान में विधयक हैं.  

पूर्वांचल के बड़े नेता वाराणसी में ही डटे हैं. दुसरे बड़े नेता भी वाराणसी पहुँच चुके हैं या पहुँच रहें हैँ.    

मनोज त्रिपाठी कहते हैं, "वड़ोदरा में मोदी के चुनाव प्रचार के लिये कोई नहीं गया. स्वयं मोदी भि नहीं। पर वाराणसी में सभी की इतनी सक्रियता क्यों?"   


 वाराणसी में मत 16  मई को पड़ने हैं. ऊँट किस करवट बैठेगा यह  16 मई को पता चलेग. 

1 comment:

  1. You are anti modi, that is for sure.

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